Saturday 14 September 2013

उत्तर प्रदेश में राजभर जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर होती राजनीति

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जैसा कि सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार द्वारा हर स्तर पर व हर मामले में घनघोर जातिवादिता करने के कारण ख़ासकर अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) की ज्यादातर जातियों में छाये व्यापक आक्रोश व नाराज़गी की ओर से ध्यान हटाने के लिए सपा नये-नये शिगूफ़े छोड़कर लोगांे को साजि़श के तहत एक बार फिर वैसे ही धोखा देने व उनका भारी नुक़सान करने का प्रयास कर रही है जैसाकि भारी नुक़सान वर्ष 2003 से 2007 के दौरान पिछली सपा सरकार के कार्यकाल में इन वर्गों का किया गया था, जिस गहरी साजि़श के प्रति ख़ासकर इस समाज के लोगों को बहुत ही सजग व सतर्क रहने की ज़रूरत है। उल्लेखनीय है कि सपा की जातिवादी मानसिकता का जो वीभत्स रूप आज उत्तर प्रदेश सरकार में देखने को मिल रहा है, वह कोई नई बात नहीं है, बल्कि वर्ष 2003 से 2007 के बीच श्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में भी इसका क्रूर रूप देखने को मिला था जब एक सोची-समझी साजि़श के तहत् अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) की 12 जातियों, यथा 1. कहार, कश्यप 2. केवट, मल्लाह, निषाद 3. कुम्हार, प्रजापति 4. धीवर 5. बिन्द 6. भर, राजभर 7. धीमर 8. बाथम 9. तुरहा 10. गौंड 11. मांझी 12. मछुआ जातियों को एक अधिसूचना के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग घोषित कर दिया था, जबकि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत नहीं आकर, संविधान की धारा 341 व 342 एवं माननीय न्यायालय के विभिन्न आदेशों के अन्तर्गत केन्द्र सरकार के माध्यम से संसद के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। इसी कारण ही पिछली सपा सरकार के इस फैसले को ग़ैर-क़ानूनी व असंवैधानिक मानते हुये माननीय उच्च न्यायालय ने इसके लागू करने पर रोक लगा दी थी, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ था कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) की इन जातियों को इनके आरक्षण का लाभ ख़ासकर सरकारी नौकरी व शिक्षा में काफी लम्बे समय तक नहीं मिल पाया और फिर इस दौरान इनके आरक्षण का बचा लाभ एक जाति विशेष के लोग ही तब तक प्राप्त करते रहे। फिर जब अन्ततः मई सन् 2007 में बी.एस.पी. सरकार बनने पर अन्य पिछड़े वर्गों की उपरोक्त 12 जातियांे को दोबारा आरक्षण का लाभ पुनः बहाल करने की व्यवस्था की गयी और साथ ही दिनांक 04 मार्च, 2008 को पत्र लिखकर अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को ओ.बी.सी. की सूची से हटाकर अनुसूचित जाति/जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी को सुश्री मायावती जी द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की हैसियत से पत्र लिखा गया, क्योंकि अनुच्छेद 341 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा ही विभिन्न जातियों को सूची में शामिल किया जा सकता है। इस प्रकार अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) की जिन 16 जातियों को अनुसूचित जाति (एस.सी.) की सूची में शामिल करने की मांग की गयी थी उन जातियों के नाम इस प्रकार है:- 1. कहार, कश्यप 2. केवट, मल्लाह, निषाद 3. कुम्हार, प्रजापति 4. धीवर 5. बिन्द 6. भर, राजभर 7. धीमर 8. बाथम 9. तुरहा 10. गौंड़ 11. मांझी 12. मछुआ 13. लोनिया 14. नोनिया 15. लोनिया-चैहान 16. धनकर, क्योंकि उपर्युक्त वर्जित इन ओ.बी.सी. जातियों के लोगों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति आज़ादी के बाद के लम्बे वर्षों में कांग्रेस, बी.जे.पी. एवं अन्य विरोधी पार्टियों की सरकारों में अत्यन्त दयनीय बनी रही है। इतना ही नहीं, इन ओ.बी.सी. जातियों की स्थिति में कुछ बेहतरी लाने के उद्देश्य से बी.एस.पी. का यह प्रयास आज भी संसद के बाहर व संसद के भीतर लगातार जारी है। अभी-अभी इसी सप्ताह दिनांक 04 सितम्बर सन् 2013 को संसद में भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विधेयक पर बोलते हुये भी बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन कुमारी मायावती जी ने केन्द्र सरकार से मांग की कि ओ.बी.सी. की 16 जातियों को एस.सी. अनुसूची में शामिल करने के लिए जो प्रस्ताव तत्कालीन बी.एस.पी. सरकार द्वारा भेजा हुआ है, उस लम्बित मामले पर तुरन्त कार्रवाई करते हुये उसे स्वीकार कर लेना चाहिये।
साथ ही, उनकी शुरू से ही यह मांग रही है कि इनका आरक्षण का अनुपात भी उसी क्रम में बढ़ जाना चाहिये, ताकि इन वर्गों के लोगांे को जिस संवैधानिक व्यवस्था के तहत उनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है, वह बिना किसी रूकावट या बाधा के जारी रहे। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की अब तक की सभी चार सरकारों में सर्वसमाज के साथ-साथ ओ.बी.सी. वर्गांे का भी ख़ास ख़्याल रखा गया। माननीया बहन कुमारी मायावती जी के नेतृत्व में वर्ष 1995 में बनी   बी.एस.पी. की पहली सरकार में इन वर्गों के हित व कल्याण को मज़बूती प्रदान करने के लिए पहली बार अलग से ‘‘पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग‘‘ बनाया गया और पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफ़ारिश पर अन्य पिछड़े वर्ग की 21 मूल जातियों में 37 उपजाति/उपनाम को जोड़कर उन वर्गों के लोगांे का सरकारी नौकरी व शिक्षा आदि में आरक्षण का लाभ देकर इन्हें आगे बढ़ने का मौक़ा दिया गया। फिर वर्ष 1997 के दूसरे शासनकाल में अन्य बातों के अलावा उच्च प्रशिक्षण संस्थानों में इनके लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी तथा अन्य पिछड़े वर्ग की 13 और उप-जातियों को अतिरिक्त रूप में अनुसूचित-एक में सम्मिलित किया गया। तीसरे व चैथे शासनकाल में और भी ज़्यादा दूरगामी प्रभाव वाले काम अन्य पिछड़े वर्गों के हित व कल्याण के लिए किये गये, जबकि इसके विपरित सपा सरकार अब तक अपनी जातिवादी मानसिकता के तहत् काम करते हुये इन वर्गों के लोगांे के खि़लाफ नकारात्मक, भेदभावपूर्ण एवं उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाकर इनका,े इनके क़ानूनी हक़ से दूर रखती रही है, जिसके विरूद्ध सर्वसमाज के साथ-साथ इन वर्गों के लोगांे में व्यापक आक्रोश जग-ज़ाहिर है। और उनके इस प्रकार के अनेकों युग-परिवर्तनीय व ऐतिहासिक कामों के लिये सर्वसमाज में से ख़ासकर अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) वर्गों के लोग बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं अपने देश में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी का तहेदिल से आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने अभी तक के चारों शासनकाल के दौरान सदियों से उपेक्षित इन ओ.बी.सी. वर्गों के लोगों की दयनीय सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति को बेहतर बनाकर समाज व देश की मुख्य धारा में लाने के लिये ईमानदारी से ठोस व बुनियादी काम किया है और साथ ही विरोधी पार्टियों की इन वर्गों के प्रति जातिवादी व विद्वेषपूर्ण नीति के तहत इन्हें नुक़ासान पहुँचाते हुये इन्हें आगे ना बढ़ने देने की साजि़श को भी नाकाम किया है।

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